तुम्हारे जन्मदिन पर
तुम्हारे जन्मदिन पर
तोहफे नहीं लाई हूँ
मैं बस दुआ लाई हूँ
कड़कती धूप में बचा सके
ऐसी बदलियां लाई हूँ
अगर राह के कंकड न हटा सकूँ
चलेंगे नंगे पैर हम दोनों
कि मैं अपनी चप्पल छुपा आई हूँ
जाम कोई भी मेरे लबो पे आता नहीं कभी
पर मैं तेरे लिए जिंदगी का नशा लाई हूँ
मैं तो महज़ कवयित्री हूँ
कोई महल नहीं ला सकती हूँ
पर हर ग़म तुम्हारा हर लूँगी
यह वादा देने आई हूँ
खुशी मैं सिर्फ शब्दों में जता सकती हूँ
जन्मदिन पर मैं सिर्फ दुआ लाई हूँ
मेरी हर ख़ुशी के आधे हक़दार
तुम्हें बनाने आई हूँ
जन्मदिन पर तुम्हारे
मैं सिर्फ़ दुआ लाई हूँ