तुम्हारे घर आएं ।
हम पूंछ ले रहे हैं उनसे इस बार भी तुम्हारे घर आएं।
कहीँ नये वरस में पिछले की तरह ना ठुकरायें जाएँ ।।
सजा रखा है मोहब्बत का गुलदशता हमने तुम्हारे लिए
इजाजत हो तो पहली तारीख को तुम्हारे घर पे आएं।।
पिछला वरस तो वेमन बीत ही गया अपना यारो
अब् मिलके आपके साथ कुछ नए गुलगीत गुनगुनाएं।।
अच्छा लगता है हमें दुनिया के दिल मिले रहे परस्पर
एक साथ मिलके सभी हम आगे ही बढ़ते चले जाएं।।
भूल जाएँ बैर भाव तो इससे बढ़कर क्या है अपने लिए
हुआ सो हुआ अब् छोड़ें उसे नये रिश्ते फिर बनाएं ।।
मुबारक है”साहब”सबको हमारी तरफ से नया साल
दिलों में ,घरों में,सब जगह हम खुशियों के फूल पाएं।।