तुम्हारे ख्वाब में ही
तुम्हारे ख्वाब में ही, जागते हैं हम
सफ़र में नीद भी, त्यागते हैं हम
काश हमको कहीं, तेरी आवाज सुनाई दे
इसी उम्मीद, सफर के वास्ते हैं हम
वस्ल भाया ,हिज़्र से भागते हैं हम
खुद को उसके मुनाफिक, आकते हैं हम
है यकीं खुद में, हमको अभी तक
हमें जाना जहां उसी के रास्ते हैं हम