वो छोटी सी खिड़की- अमूल्य रतन
तुम्हारे कमरे की वो छोटी सी खिड़की
जो गवाह है, हमारी दोस्ती से जन्मे प्यार,
तकरार और अनगिनत इंतजार का
जो गवाह है, तुम्हें लिखे
मेरे खुबसूरत प्रेम पत्रों, कसमों-वादों का
गुलदस्तों और चाय समोसे का ।
तुम्हारे कमरे की वो छोटी सी खिड़की
जो गवाह है, चाँदनी रात की
हमारी उस अंतिम मुलाकात का
अब जब तुम नहीं हो पास मेरे साथ मेरे
अक्सर रुक जाता हूं मैं कुछ देर तक
जब भी गुजरता हूं इस खिड़की के सामने
करता हूं गुज़ारिश रब से कि काश !
मिल जाये मुझे सिर्फ और सिर्फ एक
मेरे नाम लिखी तुम्हारी कोई पुरानी चिट्ठी।