तुम्हारी है जुस्तजू
हमको तो है बस ,तुम्हारी ही जुस्तजू।
जाने कब आयेगा,तू हमारे रूबरू।
ये अंधेरे रहे हैं , हमेशा हमसफ़र मेरे
रोशनी की एक किरण,बस तू ही तू।
जैसे नम हो जाती है, तुझे याद कर के
हाल ऐसा तेरा होगा, याद रखना हू-ब-हू।
सजदे में जबीं है, खुदा अब तो सुन ले
दुआ कर कबूल, रह जाये मेरी आबरू।
सुरिंदर कौर