तुम्हारी याद __ मुक्तक
तुम्हारी याद फिर तुम्हारे पास खींच लाई ।
प्रीत की फिर से आस हमने तुमसे लगाई ।।
छोड़ तकरार _करो एतबार _कहते बारबार,
मेरे हमदम इतने भी क्यों बनते हो हरजाई ।।
राजेश व्यास अनुनय
तुम्हारी याद फिर तुम्हारे पास खींच लाई ।
प्रीत की फिर से आस हमने तुमसे लगाई ।।
छोड़ तकरार _करो एतबार _कहते बारबार,
मेरे हमदम इतने भी क्यों बनते हो हरजाई ।।
राजेश व्यास अनुनय