तुम्हारी बातों में ही
तुम्हारी बातों में ही
कोई जादू था
या तिलिस्म सा था कुछ
हर बार, दूर मुझ से जा रहे थे तुम
और करीब समझता रहा मैं
हिमांशु Kulshreshtha
तुम्हारी बातों में ही
कोई जादू था
या तिलिस्म सा था कुछ
हर बार, दूर मुझ से जा रहे थे तुम
और करीब समझता रहा मैं
हिमांशु Kulshreshtha