Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jul 2023 · 1 min read

तुम्हारी बातों में ही

तुम्हारी बातों में ही
कोई जादू था
या तिलिस्म सा था कुछ
हर बार, दूर मुझ से जा रहे थे तुम
और करीब समझता रहा मैं

हिमांशु Kulshreshtha

1 Like · 325 Views

You may also like these posts

जब हम नकारात्मक टिप्पणियों को बिना आपा खोए सुनने की क्षमता व
जब हम नकारात्मक टिप्पणियों को बिना आपा खोए सुनने की क्षमता व
ललकार भारद्वाज
सलीके से हवा बहती अगर
सलीके से हवा बहती अगर
Nitu Sah
👍👍👍
👍👍👍
*प्रणय*
नवयुग का भारत
नवयुग का भारत
AMRESH KUMAR VERMA
"रहनुमा"
Dr. Kishan tandon kranti
अगर कोई छोड़ कर चले
अगर कोई छोड़ कर चले
पूर्वार्थ
स्वागत है  इस नूतन का  यह वर्ष सदा सुखदायक हो।
स्वागत है इस नूतन का यह वर्ष सदा सुखदायक हो।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
आबरू ही उधेड़ दिया
आबरू ही उधेड़ दिया
Dr. Kishan Karigar
कमबख़्त इश़्क
कमबख़्त इश़्क
Shyam Sundar Subramanian
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
हमारा मन
हमारा मन
surenderpal vaidya
रोटी
रोटी
लक्ष्मी सिंह
कोई तो है
कोई तो है
ruby kumari
गांधी जी के आत्मीय (व्यंग्य लघुकथा)
गांधी जी के आत्मीय (व्यंग्य लघुकथा)
गुमनाम 'बाबा'
गाॅंधीजी के सत्य, अहिंसा के मार्ग पर चलना चाहिए,
गाॅंधीजी के सत्य, अहिंसा के मार्ग पर चलना चाहिए,
Ajit Kumar "Karn"
समय की बात है
समय की बात है
Atul "Krishn"
जीव के मौलिकता से परे हो,व्योम धरा जल त्रास बना है।
जीव के मौलिकता से परे हो,व्योम धरा जल त्रास बना है।
दीपक झा रुद्रा
कुछ पल अपने लिए
कुछ पल अपने लिए
Mukesh Kumar Sonkar
पर्वत
पर्वत
Ayushi Verma
अबला सबला हो गई,
अबला सबला हो गई,
sushil sarna
जैसे पतझड़ आते ही कोयले पेड़ की डालियों को छोड़कर चली जाती ह
जैसे पतझड़ आते ही कोयले पेड़ की डालियों को छोड़कर चली जाती ह
Rj Anand Prajapati
ग़ज़ल-सपेरे भी बहुत हैं !
ग़ज़ल-सपेरे भी बहुत हैं !
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
4763.*पूर्णिका*
4763.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
- रोटी कपड़ा और मकान -
- रोटी कपड़ा और मकान -
bharat gehlot
दुर्घटनाओं के पीछे जन मानस में क्रांति हो...
दुर्घटनाओं के पीछे जन मानस में क्रांति हो...
SATPAL CHAUHAN
अंतर बहुत है
अंतर बहुत है
Shweta Soni
तुम्हारे इश्क़ की तड़प जब से लगी है,
तुम्हारे इश्क़ की तड़प जब से लगी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दिल कि आवाज
दिल कि आवाज
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
भवप्रीता भवानी अरज सुनियौ...
भवप्रीता भवानी अरज सुनियौ...
निरुपमा
अपना मन
अपना मन
Neeraj Agarwal
Loading...