तुम्हारी बाँहों में
तुम्हारी बाँहों में,
भूल जाती हूँ दुनिया सारी,
दिन भर की थकान,
दूर कर देती है तुम्हारी मुस्कान,
तुम्हारा आलिंगन भरता है शरीर में नई जान,
बालों में फेरना हाथ और कहना “ मैं हूँ तेरे साथ”,
मुकम्मल कर देता है जन्नत-जहान,
तुम ही तो हो मेरी सार्थकता की पहचान,
केवल जीवनसाथी नहीं,
तुम हो मेरा मान-सम्मान और अभिमान,
तुम हो तो मैं हूँ, मैं हूँ तो तुम,
हम दोनों है, एक दूसरे का कुल जहान,
इक दूजे संग पूरे, इक दूजे बिन अधूरे,
इक दूजे बिन अधूरे……