दुविधा में सरकार है
जरा सोचो तुम, हमारी जनता लाचार है ।
कैसे हैं नेता तुम्हारे, कैसा इनका विचार है।
कुछ पैसों की लालच में तुम,
इतने लालची जो हो गये ।
आगे पीछे कुछ सोचे हो तुम,
यहाँ सब, अब तुमसे आजिज हो गये ।।
गर, मृत्यु बाद तेरा,
इन्हीं घरों में जो जन्म हुआ ।
तो क्या होगा तुम्हारा,
और तुम्हारी कौम का ।
पहले तो बहुत खुश थे तुम,
अब इतना ही सुन, तुम रो गये ।।
तेरी आँखों में आँसू आने का,
यह बहुत बड़ा संकेत है ।
सारी गणित समझ गये या,
अब भी मन में भेद है ।।
पैसों की लालच ने,
अंधा कर दिया तुम्हें,
तू कैसे करता था कारोबार ,
जो यहाँ बढ़ता बेरोजगार है ।
सुविधा किसी को मिला नहीं है,
इसी के चलते तुम्हारी,
आज दुविधा में सरकार है ।।
कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 06/08/2020
समय – 02:47 (सुबह)
संंपर्क – 9065388391