तुम्हारी ख्वाहिश जैसे पानी की बूंदें
तुम्हें देखती हूँ दूर से
कभी-कभी थोड़ी करीब से भी
खो जाती हूँ तुम्हारे ख्यालों में
बस यूं ही जब कभी
तब महसूस करती हूँ तुम्हें
अपने आस-पास ही कहीं
पर कभी तुम्हें पाने की
नहीं करती कोशिश
और न ही ऐसी कोई
ख्वाहिश रखती हूँ
क्योंकि मैं जानती हूँ
मैं जानती हूँ
तुम्हें पाने की ख्वाहिश
पानी की बूंदों की तरह है
हथेली भींग जाएगी
लेकिन हासिल कुछ भी नहीं होगा।
©️ रानी सिंह