तुम्हारा ही पुकार है
अखण्ड दीप ज्योत्सना,
प्रकाश दिव्यमान है,
धरा में अंधकार है,
तुम्हारा ही पुकार है
तुम्हारा ही पुकार है ,तुम्हारा ही पुकार है ।
उठो हे देवी सिन्धसुता,
उठो हे देवी श्रीप्रदा,
अमृता हे चंचला,
मंगला हे इन्दिरा,
गृहम् गृहम् वसुप्रदा, जगत तो मध्य धार है
धरा में अंधकार है ,तुम्हारा ही पुकार है
तुम ही तो हरिप्रिया,
तुम ही तो जनकधिया,
असंख्य कांति धारिणी,
त्रिलोक धाम विहारिणी,
तेरे बिना हे धी मही, मनुज तो तार-तार है ।
धरा में अंधकार है, तुम्हारा ही पुकार है
दरिद्र दुःख हारिणी,
रोग-शोक विदारिणी,
जलता दीपमाल में,
मिटता तम विशाल में
किन्तु हृदय मध्य चंचला, भरा माँ द्वेष विकार है
धरा में अंधकार है , तुम्हारा ही पुकार है ।
करती उमा हे वंदना,
मुकुंद श्याम रंजना,
रमा क्षमा कमलासना,
भ्रांति दुःख भंजना,
लक्ष्य – लक्ष्श -लक्ष्मी, अलक्ष्मी पसार है ,
धरा में अंधकार है, तुम्हारा ही पुकार है,
तुम्हारा ही पुकार है ,तुम्हारा ही पुकार है,
उमा झा