तुम्हारा प्यार मुझे यह रसाई देता है
तुम्हारा प्यार मुझे यह रसाई देता है।
जिधर भी डालूं नजर तू दिखाई देता है।
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जैसे लगता उसे बर्बाद किया है मैने।
हमेशा इश्क की मेरे दुहाई देता है।
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किसी मजलूम की तुम आह क्यों नहीं सुनते।
खुदा को अर्श पर सब कुछ सुनाई देता है।
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यह मेरा दिल तेरा कैदी है जाने कब माने।
तुम्हारा जु़ल्फ मुझे कब रिहाई देता है।
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जजा़ वह देता है नेकी की भी बदी की भी।
खु़दा सभी को बदला पाई पाई देता है।
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चला रहा है वो दुनिया को अपनी रहमत से।
खुदा किसी को कब अपनी खु़दाई देता है।
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सितम वो रोज़ किया करता है हर पल हर दिन।
“सगी़र” वो मिलता है हर दिन सफाई देता है।
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डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी खैरा बाजार बहराइच