तुम्हारा नाम
**** तुम्हारा नाम ****
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हथेली पर हम लिखते है
तुम्हारा प्यारा सा नाम
लिख कर मिटाते रहते हैं
तुम्हारा प्यारा सा नाम
कहीं रेत ढ़ेर को रौंद पर
कहीं धरती को खोद कर
बहते पानी को खोल पर
लिखते रहें तुम्हारा नाम
दिल दरिया गहराई अंदर
मेरे मन में मन्दिर अंदर
आँखों में नजरों के अंदर
छिपाया है तुम्हारा नाम
सोते और जागते हुए
हंसते रोते रोते हुए
मंद मंद मुस्कराते हुए
जपते रहें तुम्हारा नाम
कभी बहती हवाओं में
प्रकृति की फिजाओं में
मोहब्बत भरी राहों में
छाया रहे तुम्हारा नाम
नभ में चाँद सितारो में
खिली खिली बहारो में
प्रेम भरी हुई राहो में
छाया रहे तुम्हारा नाम
मेरे हसीं से ख्वाबों में
मेरे मन के ख्यालों में
सुखविंद्र खुली बाहों में
सयाया है तुम्हारा नाम
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)