तुम्हारा दीद हो जाए,तो मेरी ईद हो जाए
तुम्हारा दीद हो जाए,
तो मेरी ईद हो जाए।
तुझे चांद के बहाने देखूं
मेरी मुराद पूरी हो जाए।।
ईद आई तुम न आए
क्या मज़ा है ईद का।
ईद ही तो अब नाम है,
इक दुसरे की ईद का।।
रोजे रखे थे तुमने,
रोजे रखे थे मैने।
रोजे खत्म हो गए है,
मुलाकात करेंगे दोनो।।
इबादत की थी हमने,
मांगा जो कभी हमने।
मिल गया वो सब कुछ,
इसलिए ईद मनाई हमने।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम