तुम्हारा ज़िक्र
तुम्हारा ज़िक्र था या है खुदा जाने,
तुम्हारा फ़िक्र था या है खुदा जाने,
तमाम रात हिज़्र में तुम्हारे सोया नहीं,
तुमसे इश्क़ था या है खुदा जाने।।
©अनुराग अंजान
तुम्हारा ज़िक्र था या है खुदा जाने,
तुम्हारा फ़िक्र था या है खुदा जाने,
तमाम रात हिज़्र में तुम्हारे सोया नहीं,
तुमसे इश्क़ था या है खुदा जाने।।
©अनुराग अंजान