”तुम्हारा ख्याल”
कविता-17
हाँ हम साथ नही रहते,अब बात नही होती,
एक दूसरे से कोई वास्ता नही रहा,
मेरे जहन से तुम्हारी यादें भी धुन्धली होती जा रही।।
मेरे होंठों से तुम्हारा जिकर नही होता,
अब मुझे तुम्हारी फिकर भी नही सताती।।
लेकिन…..
जब भी तुम्हारा ख्याल आ जाता है,
कहाँ खो जाता हूँ पता ही नही चलता
वक्त कब गुजर जाता है पता ही नही चलता।।
तुमनें मुझे जीने का अन्दाज सिखाया है,
क्या हूँ मैं,कैसा हूँ मैं इस बात से वाकिफ कराया है,
तुमनें मुझे खुद में खुद से मिलाया है।।
ये सब कुछ मैं कैसे भूल जाऊँ और
मैं कैसे कह दूँ की तुमसे इश्क नही रहा।।