तुमसे मेरी बनी पहचान है
**तुमसे मेरी बनी पहचान है**
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सुहाना मौसम बेईमान है
छाया मन मे ये घमासान है
गमों के बोझ से दिल है बोझिल
चेहरों पर दिखती मुस्कान है
आँखो में मयकदा रहे बसता
मधुशालाएँ पड़ी सुनसान है
ख्वाइशों का जिक्र है कौन करे
जागे , सोये हुए अरमान है
रूह दिन रात तड़फती सी रहे
राहों में दिखे वो शमशान है
निराशाओं ने घेरा है यहाँ
आशाओं का बाधित मकान है
वादाखिलाफी के शिकार हुए
जफ़ाओं भरी पड़ी दास्तान है
ख्वाबों ने भी दामन है छोड़ा
सपनों की हुई बंद दुकान है
सुखविंद्र तेरे बिन शून्य तुल्य
तुमसे मेरी बनी पहचान है
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)