तुमने तन्हा छोड़ा है
तुमने तन्हा छोड़ा है
पर क्या जिंदा छोड़ा है
शायद प्यास बुझे ना अब
हमने सहरा छोड़ा है
सदियों का दीवानापन
लम्हा लम्हा छोड़ा है
मुस्कानों ने क्यों दिल पर
जख्म सुनहरा छोड़ा है
ख्वाब में कब हरजाई ने
आना जाना छोड़ा है
मंजिल है सपना जिसने
कोशिश करना छोड़ा है
दिल खुश था तुमने छूकर
गहरा सदमा छोड़ा है
संजय नारायण