तुमको पाकर जानें हम अधूरे क्यों हैं
ख़्वाहिश झूठी ख्वाब अधूरे क्यों हैं
तुमको पाकर जानें हम अधूरे क्यों हैं
तुमसे मिलकर भी अजनबी हैं हुए
मेरे हमराज मेरे हमदम अधूरे क्यों हैं
नहीं सजती मेरे दिल की महफिल
दिल के ये साज सनम अधूरे क्यों हैं
हम कहाँ जाँए हमको हँसाने वाले
मेरी हँसी की कसम हम अधूरे क्यों हैं
‘विनोद’ बता दे जरा खता हमको
तुझमें खोकर भी हम अधूरे क्यों हैं