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16 Jul 2020 · 1 min read

— तुझ से हार गया मैं जिंदगी —

मिले न सकून तो
किस काम की है जिंदगी
यह तो पता है सब को
बड़ी कश्मकश से भरी है जिंदगी

कितनी भी भागदौड़ कर लो
आखिर थका ही देती है जिंदगी
कितने भी अरमान संजो लो
जीतने से पहले ही हरा देती है जिंदगी

मन को मार के न चाहते हुए भी
भगा दिया करती है जिंदगी
सकून की तलाश में मारा फिरता हूँ
पर सकून से दूर भगा देती है जिंदगी

सुबह से लेकर शाम तलक
कितना सारा थका ही देती है जिंदगी
न मन को आराम, न जिस्म को आराम
भगा भगा के ही मार देती है जिंदगी

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
328 Views
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