तुझे रास न आई
रे मानव
क्यों दलदल में धंस रहा है
निढाल पड़ा है
और कामकाजी को कोस रहा है
क्या बदले हुई हालात नही दीख रहे हैं
काम कैसे करते हैं ये सभी सीख रहे हैं
खाली दिमाग में ख्याली पुलाव मत बनाओ
तुम भी अच्छा कर सकते हो कर के दिखाओ
तुम्हारी परेशानी शारीरिक नही दिमागी है
जो जनता तुम्हारे साथ खड़ी वो अभागी है
उसकी लोकप्रियता तुम्हें रास नही आई
इसीलिए उन्हें रोकने की साजिश रचाई
फिर भी कोई बाल ना बांका कर पाया है
दलदल देख कर लौट अपने घर आया है
सोया शेर जगाओगे तो दहाड़ेगा जरूर
और एक झटके में तोड़ देगा सारा गरूर
चुपचाप वापिस आ गया इसे बुजदिली न समझना
किसी बड़े तूफान की तैयारी है ये बात जरूर समझना