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17 Jun 2021 · 1 min read

” तुझे मैं मिली मुझे तु मिला “

“तुझे मैं मिली मुझे तु मिला” ©
( मुक्तक )
_____________________________

क्यूँ रोती हो तुम,
तुम्हे क्या है शिकवा? क्या है गिला ?
दूर हो जायेंगे सारे गिले-शिकवे,
एक बार मुझसे दिल तो मिला |
जब जलेंगे अपने प्यार के दीपक झिलमिल-झिलमिल,
फिर गुनगुनाओगी तुम…
?”तुझे मैं मिली, मुझे तु मिला”
“तुझे मैं मिली, मुझे तु मिला “||?

_____________________________

स्वरचित एवं
मौलिक रचना

लेखिका :-
©✍️सुजाता कुमारी सैनी “मिटाँवा”
लेखन की तिथि :-7 जून 2021

Language: Hindi
658 Views
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