” तुझे मैं मिली मुझे तु मिला “
“तुझे मैं मिली मुझे तु मिला” ©
( मुक्तक )
_____________________________
क्यूँ रोती हो तुम,
तुम्हे क्या है शिकवा? क्या है गिला ?
दूर हो जायेंगे सारे गिले-शिकवे,
एक बार मुझसे दिल तो मिला |
जब जलेंगे अपने प्यार के दीपक झिलमिल-झिलमिल,
फिर गुनगुनाओगी तुम…
?”तुझे मैं मिली, मुझे तु मिला”
“तुझे मैं मिली, मुझे तु मिला “||?
_____________________________
स्वरचित एवं
मौलिक रचना
लेखिका :-
©✍️सुजाता कुमारी सैनी “मिटाँवा”
लेखन की तिथि :-7 जून 2021