” तुझे भुला कर देख लिया है… “
तू ही तू साँसों का धागा,
आजमा कर देख लिया है….!
बिखर चुके हैं मनके मनके,
तुझे भुला कर देख लिया है..!!
भूख नहीं मिटती है तुझसे,
मिलने बातें करने की…,
सब कहते हैं ग़म खा यारा,
ग़म भी खा कर देख लिया है…!!
क्या जादू है तुझमें तेरी,
यादों की मदहोशी में…..,
होश में भी नहीं होश है रहते,
होश में आ कर देख लिया है…!!
कहीं नहीं है सुकून तुझसा,
राहतें इश़्क इबादत जैसी…,
मन्दिर मस्ज़िद गुरूद्वारे क्या,
च़र्च भी जा कर देख लिया है…!!
जितना मिटाऊँ गहराते हैं,
दिल पे तेरे कदमों के निशां…,
यारा तेरी अमिट छाप को,
खूब मिटा कर देख लिया है…!!
—दयाल योगी?