तुझे बांध लिया पंडितों ने अपने बंधन में
तेरी एक झलक पाने
को मैं दौड़ा घर से
भाग भाग कर
पहुंचा में दर तेरे
बस पहुँच ही
गया था तुझे
मिलने को में
पर बेबस
हो गया
पहुँच के
दर तेरे
न मिलने दिया
न तुझे देखने
दिया, मुरझा दिया
मन का कमल
उस ने वहां मेरे
कहने लगे
बड़ी देर से आये
हो, तुम को नहीं
पता यहाँ जागे
है श्याम सवेरे से
अब झलक पानी
है उनकी तो आ
जाना शाम को चार
बजे इस मंदिर में
क्या यही है श्याम तेरे चोखट के पहरेदारो का काम
में तो घर छोड़ के आया, और यहाँ बंद है तेरा धाम
क्या तेरा भी समय है जागने और सोने का मेरे श्याम
बस एक झलक दिखा जय, वहीँ हो जायेगा मेरा काम
अजीत कुमार तलवार
मेरठ