तुझे पाकर खुद को भूल गया हूँ मैं देख अब तुझ सा हो गया हूँ मैं
तुझे पाकर खुद को भूल गया हूँ मैं
देख अब तुझ सा हो गया हूँ मैं
कल तक बहता पानी था नदी का
तुझमे समाकर समुंद्र हो गया हूँ मैं
जल जाते है अक्सर दीये बुझ जाने के बाद
देख तेरी राह का चमकता सितारा हो गया हूँ मैं
भूल जाते है अक्सर दरिया किनारे को
तेरी राह का भटकता किनारा हो गया हूँ मैं
डूब जाती है अक्सर कश्ती बीच समुंद्र में
तेरी बाट देखते किनारों में ही रह गया हूँ मैं
नहीं है इल्म मुझे अब किसी बात का
अफ़सोस अब अज़नबी हो गया हूँ मैं ।
भूपेंद्र रावत
29।05।2019