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20 May 2018 · 1 min read

तुझे देखने को चाह में

तुझे देखने को चाह में
हां आज भी मैं कभी खुद की
राह नही बदलता
बदलता हूँ मैं खुद को
तेरे आने जाने की आस लिए
मैं अपनी राह नही बदलता
बदलता है मौसम खुद को
इस मौसम बदलने के डर से
खुद की राह नही बदलता
बदल लिया है इंसान ने खुद को
समय के अनुसार बदल लिया है चेहरा
लेकिन तेरे कदमो की आहट कानो तक पहुंच पाए
इसलिए मेरे कदम अपनी राह नही बदलते
तरस गयी है आँखे मेरी
दफ़न हो गए कितने अरसे ऐसे ही
तुझे पाने को चाह में
नही बदली तो वो मेरी राह और
तुझे पाने को चाह
आज भी उसी समान मेरे भीतर
ज़िंदा है जैसे पानी से भरे समुंद्र की प्यास

Language: Hindi
1 Like · 260 Views

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