खुदकुशी नहीं, इंक़लाब करो
कुचली हुई
हर जान के लिए
टूटे हुए
हर दिल के लिए!
तुम्हें जीना
होगा इस देश के
बेहतर
मुस्तकबिल के लिए!!
किसी हीरे को
परखना है तो
एक जौहरी की
नज़र चाहिए!
तुम क्यों
खुदकुशी करोगे
किसी अनपढ़-
जाहिल के लिए!
Shekhar Chandra Mitra