तुझे चलना होगा (कविता)
जब तक सूरज चंदा चमके
इस अमूल्य धरा का मान रहे
सत्य अहिंसा के पथ पर
नित हमारे स्वाभिमान रहे
नहीं चाहिए धन और दौलत
सादा जीवन उच्च विचार रहें
नफ़रत, द्वेष से दूर रहें हम
सदा आपस में प्यार रहे
कोशिश यही करनी चाहिए
चाहे जितना हो जीवन में संघर्ष
लड़खड़ाए नहीं हमारे कदम
जैसे रोज सूरज नित नई प्रेरणा लिए
किरणों से सुशोभित दस्तक देता ही है
चंदा टिमटिमाते तारों के बीच चमकता ही है
वृक्ष भी परिवर्तनीय ऋतु के साथ निस्तब्ध खड़े
आगाह करते हुए अपने संदेश में कहता है
चाहे कितनी धूप-छांव हो आंधी-कराल हो
जिसमें कई छटा के रंग बिखेरती है प्रकृति
ऐसे ही जीवन में विषम परिस्थिति में भी
ऐ मानव तू हिम्मत ना हार
चलता चल तू बढ़ता चल
तुझे तो है तेरी राह चलना
चांद और सूरज सा दमकना