तुकबन्दी अब छोड़ो कविवर,
तुकबन्दी अब छोड़ो कविवर,
कुछ धन्धे की बात करो
ख़ाली-पीली मौज उड़ाकर,
ख़त्म न यूँ दिन रात करो
—महावीर उत्तरांचली
तुकबन्दी अब छोड़ो कविवर,
कुछ धन्धे की बात करो
ख़ाली-पीली मौज उड़ाकर,
ख़त्म न यूँ दिन रात करो
—महावीर उत्तरांचली