तीसरे दर्जे का आदमी
शीर्षक – तीसरे दर्जे का आदमी
विधा – कविता
परिचय- ज्ञानीचोर
शोधार्थी व कवि साहित्यकार
मु.पो.रघुनाथगढ़, सीकर राजस्थान
मो. 9001321438
एक नाले की अस्वीकृत धारा हूँ,
तीसरे दर्जे का तीसरा आदमी हूँ।
टूट-टूटकर फूटा अब फिर टूटा,
न शेष संभावना फिर खिलने की।
नहीं है मेरी जेब के जबान,
जबान बंद नहीं है जेब में,
मैं बेरोजगार की चपेट से,
बना तीसरे दर्जे का आदमी।
न शान-शौकत की चीज भोजन,
पेट में धधकती ज्वाला का ईंधन।
आँखें तरसती रही प्रेम को
ठुकराया हर बार बार-बार
तीसरे दर्जे का आदमी जो हूँ।