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30 Jun 2021 · 1 min read

तीसरे दर्जे का आदमी

शीर्षक – तीसरे दर्जे का आदमी

विधा – कविता

परिचय- ज्ञानीचोर
शोधार्थी व कवि साहित्यकार
मु.पो.रघुनाथगढ़, सीकर राजस्थान
मो. 9001321438

एक नाले की अस्वीकृत धारा हूँ,
तीसरे दर्जे का तीसरा आदमी हूँ।
टूट-टूटकर फूटा अब फिर टूटा,
न शेष संभावना फिर खिलने की।

नहीं है मेरी जेब के जबान,
जबान बंद नहीं है जेब में,
मैं बेरोजगार की चपेट से,
बना तीसरे दर्जे का आदमी।

न शान-शौकत की चीज भोजन,
पेट में धधकती ज्वाला का ईंधन।
आँखें तरसती रही प्रेम को
ठुकराया हर बार बार-बार
तीसरे दर्जे का आदमी जो हूँ।

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 432 Views
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