Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jan 2021 · 1 min read

 ‘ तीसरा बम ‘

बात सन 1990 के आसपास की है नई – नई शादी हुई थी मेरी अरे मैं यानी सयुंक्ता । ससुराल में कंप्यूटर का कारोबार…कंप्यूटर इस नाम से भी उस वक्त ज्यादातर लोग अनजान थे , मुझे भी ऐसो की ही पंक्ति में खड़ा कर दिया गया कंप्यूटर के पास जाते ही देवर ने चिल्ला कर कहा ‘ इसको मत छूईयेगा ‘ एक बार को उसको चिल्लाते देख लगा की बम फूटा , ये कंप्यूटर को लेकर फूटने वाला पहला बम था । उन दिनों मेरी सहेली कंप्यूटर कोर्स कर रही थी कभी – कभी मेरे पास आकर रूक जाती रात में वो कंप्यूटर पर काम करती मैं बगल में बैठ उसको काम करता देखती और हम दोनों गप्पे भी करते । थोड़े दिनों में मैं ‘ अडोब इलैस्ट्रेटर ‘ पर विज़िटिंग कार्ड डिजाइन करने लगी मेरा हाथ बहुत अच्छा सैट हो गया । मुझे कार्ड डिजाइन करता देख घर में दूसरा बम फूटा…अचानक से एक दिन देवर ने आकर कहा भाभी आप मुझे ‘ अडोब इलैस्ट्रेटर ‘ सीखा देंगी ये तीसरा बम फूटा था लेकिन इसकी आवाज मेरे कानों को मीठी लग रही थी ।

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 13/12/2020 )

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 345 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mamta Singh Devaa
View all
You may also like:
अंधकार जो छंट गया
अंधकार जो छंट गया
Mahender Singh
इज़हार करके देखो
इज़हार करके देखो
Surinder blackpen
बदल गयो सांवरिया
बदल गयो सांवरिया
Khaimsingh Saini
मुझे लगा अब दिन लदने लगे है जब दिवाली की सफाई में मां बैट और
मुझे लगा अब दिन लदने लगे है जब दिवाली की सफाई में मां बैट और
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
"इफ़्तिताह" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
मुहब्बत का इज़हार मांगती ज़िंदगी,
मुहब्बत का इज़हार मांगती ज़िंदगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आज के युग में
आज के युग में "प्रेम" और "प्यार" के बीच सूक्ष्म लेकिन गहरा अ
पूर्वार्थ
गुरुर
गुरुर
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
।। मतदान करो ।।
।। मतदान करो ।।
Shivkumar barman
4794.*पूर्णिका*
4794.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ये जो अशिक्षा है, अज्ञानता है,
ये जो अशिक्षा है, अज्ञानता है,
TAMANNA BILASPURI
ग़ज़ल-दर्द पुराने निकले
ग़ज़ल-दर्द पुराने निकले
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
*हों पितर जहॉं भी सद्गति की, इच्छा हम आठों याम करें (राधेश्य
*हों पितर जहॉं भी सद्गति की, इच्छा हम आठों याम करें (राधेश्य
Ravi Prakash
देखकर तुम न यूँ अब नकारो मुझे...!
देखकर तुम न यूँ अब नकारो मुझे...!
पंकज परिंदा
राहें
राहें
Shashi Mahajan
"आईना"
Dr. Kishan tandon kranti
*राम स्वयं राष्ट्र हैं*
*राम स्वयं राष्ट्र हैं*
Sanjay ' शून्य'
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मेरा देश महान
मेरा देश महान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
🙅दद्दू कहिन🙅
🙅दद्दू कहिन🙅
*प्रणय*
चुप रहने की आदत नहीं है मेरी
चुप रहने की आदत नहीं है मेरी
Meera Thakur
शीर्षक - सच (हमारी सोच)
शीर्षक - सच (हमारी सोच)
Neeraj Agarwal
माँ
माँ
Shyam Sundar Subramanian
रात घिराकर तम घना, देती है आराम
रात घिराकर तम घना, देती है आराम
Dr Archana Gupta
18. कन्नौज
18. कन्नौज
Rajeev Dutta
कितनी शिद्दत से देखा होगा मेरी नज़रों ने
कितनी शिद्दत से देखा होगा मेरी नज़रों ने
शिव प्रताप लोधी
आम की गुठली
आम की गुठली
Seema gupta,Alwar
नारी के चरित्र पर
नारी के चरित्र पर
Dr fauzia Naseem shad
पुरुष की चीख
पुरुष की चीख
SURYA PRAKASH SHARMA
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
हाजीपुर
Loading...