तीन शेर
तीन शेर
———————————————-
(1)
फरिश्ते देखकर उसको ये समझे कि फरिश्ता है
गजब का चेहरे पर चेहरा उसने लगाया था
(2)
वो मामूली-सा था इंसान ,पहने कपड़े मामूली
नजर कब देवता आया ,मगर वो देवता ही था
(3)
फरिश्ते फिक्र में डूबे ,गृहस्थी को चलाने की
इलैक्शन में खड़ा इस बार फिर शैतान ही होगा
——————————————-
रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उ.प्र.) मो. 9997615451