तीन मुट्ठी तन्दुल
तीन मुट्ठी तन्दुल
श्री कृष्ण सुदामा जैसी मित्रता होना इस कलिकाल में असंभव
सा है।
है प्रेमवश होकर अपने मित्र सुदामा को तीन मुट्ठी चावल के बदले तीनों लोक दान कर निर्धन से धनवान बना देना प्रभु श्री कृष्ण के लिए तो संभव सा है
उसकी कुटिया को महल बना देना संभव सा है।
पत्नी बसुन्धरा के यौवन को लौटाकर चमकदार बना देना देवी रुक्मणी द्वारा किया गया असंभव कार्य संभव तो है।
हो कोई भी इनके शरणागति मे भवसागर से तार देना संभव तो है।
मीरा भी पी गयी विष का प्याला इनके भरोसे फिर अपने आप में उसे समा लेना श्री कृष्ण के लिये संभव ही तो है।सुदामा को तीन मुट्ठी चावल के बदले धनवान बना देना प्रभू श्री कृष्ण के लिये संभव ही तो है।
कार्तिक नितिन शर्मा