तीन मुक्तक (शादी, फैशन, काला)
तीन मुक्तक (शादी, फैशन, काला)
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(1) शादी
कुँवारा जबतलक है खुल के मेरा यार दौड़ेगा
गले में हार के पड़ते ही लेकर हार दौड़ेगा
हुई शादी हुए बच्चे तो समझो उम्र जाने तक
बेचारा देखना कैसे हुए लाचार दौड़ेगा
(2) फैशन
बहू ही तो नहीं केवल दिखे अब सास फैशन में
भले सूरत हो कैसी भी दिखे है खास फैशन में
लगाकर पेंट खुशबूदार निकले जब सड़क पे वो
कि ढलती उम्र का होता नहीं अहसास फैशन में
(3) काला
मुझे अपना बना लो तुम मुहब्बत में मैं आला हूँ
हँसों ना देखकर सूरत भले कौवे से काला हूँ
तुम्हारे गाल पर है तिल मेरे जैसा ही जानेमन
नज़र में ही मुझे रखना नज़र का मैं उजाला हूँ
– आकाश महेशपुरी