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2 Dec 2021 · 1 min read

तीन मुक्तक( बारातों वाले दिन साहिब)

तीन मुक्तक( बारातों वाले दिन साहिब)
#####################
(1)मनाने कौन आएगा
———————————————-
उठाओ प्लेट खुद खाओ , खिलाने कौन
आएगा
कहां स्टाल किसका है, बताने कौन आएगा
खड़े हैं ताव देकर ,मूछों पर अब लड़की वाले
भी
जो गलती से अगर रुठे, मनाने कौन आएगा
——————————————–
(2)बरातों वाले दिन साहिब
———————————————–
अभी भी याद आते हैं, बरातों वाले दिन
साहिब
ठहरने वाले जनवासों में, रातों वाले दिन
साहिब
वह नखरे गुस्सा फरमाइश, अहा ! क्या दौर
चलता था
कहाँ वह खो गए सब, मीठी बातों वाले दिन
साहिब
————————————————–
(3)रसीदें फाड़िए साहिब
————————————————–
बुलाकर लड़की वालों को, मजे अब मारिए
साहिब
मुफत में दावतों के आप, झंडे गाड़िए
साहिब
ये जिम्मे लड़की वालों के है, हर पेमेंट को
करना
महज बस आप चंदे की, रसीदें फाड़िए
साहिब
#######################
रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा ,रामपुर (उ.प्र)
मो. 9997615451

Language: Hindi
255 Views
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