तीन भोजपुरी मुक्तक जुदाई वाला
याद कइसे बतावऽ न आई कबो।
देखिहऽ एक दिन ई रुलाई कबो।
हमके पत्थर कहऽ शौक से यार तूं,
याद पत्थर न दिल से भुलाई कबो।
याद पत्थर ई दिल से न जाई कबो।
देखिहऽ यार तहसे भुलाई कबो।
एक साथे बितावल गइल वक्त ऊ-
याद करबू त तहके रुलाई कबो।
याद कइसे कहीं की न अइबू कबो।
सांच कहनी हृदय से न जइबू कबो।
लाख कोशिश करऽ दूर हमसे रहऽ-
यार दिल से न हमरी भुलइबू कबो।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
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