तीन दोहे
तीन दोहे
बाँट दिये जब तात ने, सबको सबके अंश
बचा रहा बस भाग में, जन्म जन्म का दंश।।
2
हिस्से हिस्से हो गई, माँ बूढी नीलाम
इधर उधर है आसरा, राम राम हे राम।
3
मत पूछो क्या हाल है, क्यों घर में संग्राम
चुप चुप रह सौ बात है, दिल में राज़ तमाम।।
सूर्यकान्त द्विवेदी