तीन दोहे .. नयन नयन डूबे सहज, नयन नयन नह-लाय l
नयन नयन डूबे सहज, नयन नयन नह-लाय l
नव नयन निर्मला भये, नेह नयन कह-लाय ll
मानव की मन में महक, मानवता दे मान l
मानवता मन में मरे, मिटता मानव मान ll
तरासा तू नहीं तरस , सभी को ले तरास l
ख़ासम ख़ास बना रहा, ओरों को कर ख़ास ll
अरविन्द व्यास “प्यास”