तीन औरतें बेफिक्र जा रही थीं,
तीन औरतें बेफिक्र जा रही थीं,
पैरों में किसी के चप्पल नहीं थे!
तपती सड़कें पैर झुलसा रही थी,
वेदना भरे बहुत ही भावुक पल थे!
…. अजित कर्ण ✍️
तीन औरतें बेफिक्र जा रही थीं,
पैरों में किसी के चप्पल नहीं थे!
तपती सड़कें पैर झुलसा रही थी,
वेदना भरे बहुत ही भावुक पल थे!
…. अजित कर्ण ✍️