तीज
बागों में झूले पड़े , ऊंची-ऊंची डाल।
करत-करत अठखेलियाँ, लाल हो गए गाल।।
हरे रंग की चूड़ियां, और महावर लाल।
प्रीतम आते देखकर, केश गिरातीं गाल।।
सब कुछ फीका सा लगे, नारी रहे उदास।
यदि हरियाली तीज पर, पिया नही हों पास।।
घर के पूरित काज कर, फिर सोलह श्रृंगार।
मन में गौरा ध्यान धर, नारी पूजे प्यार।।
पुए बनातीं भाभियाँ, खीर बनाती रीझ।
गोला हमने कस दिया, हुई प्रेम से तीज।।
धूल नही हो पांव की, तुम हो सर का ताज।
हिना लगाकर हाथ पर,मुझे दिखाओ आज।।