तीखी कटार
घनाक्षरी – तीखी कटार
★★★★★★★★
कंगना खनन खन,
पायल छनन छन।
बिंदिया की चम चम,
चमक दिखाती है।
★★★★★★★★
कुंतल में गजरा है,
अंखियों में कजरा है।
लाल लाल गाल वाली,
नित इठलाती है।
★★★★★★★★
चुलबुल मुनिया हैं,
नाक में नथुनियाँ हैं।
पीछे पड़ी दुनिया है,
जब मुसकाती हैं।
★★★★★★★★
जब सोलह पार हुई,
तीखी ये कटार हुई।
जब जब देखे मुझे,
गले पड़ जाती हैं।
★★★★★★★★
रचनाकार-डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभावना,बलौदाबाजार(छ.ग.)
मो. 8120587822