तिलमास की घटना पर
::-तिलमास की घटना पर::-
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आज कलम को रोना आया अपने ही अहसास पर।
राज व्यवस्था कुछ लोगों ने आज रखी है ताक पर।।
गाना गाकर दारू पीकर बेखुद होकर चलते हैं।
कुछ जिन्दों को लाश बनाकर डाल गए फुटपाथ पर।।
शायद धरती डोली होगी अम्बर कांप गया होगा।
उसकी माता रोई होगी जब बेटे की लाश पर।।
वो माता का तारा होगा और पिता का प्यारा भी।
जाने कैसी बीती होगी उस पूरे परिवार पर।।
कोठी वालों संभल जाओ अब भी कोई देर नहीं।
अभिमान नहीं सोभा देता राजकाज और ताज पर।।
## कवि गोपाल पाठक (कृष्णा)
मीरगंज,बरेली(उत्तरप्रदेश)
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