तिलका छंद
तिलका छंद
११२, ११२ (सगण, सगण)
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शिव नाम हरे।
प्रभु धाम हरे।
शिव शंकर हे।
प्रलयंकर। हे।।
जग पालक हो।
तुम चालक हो।
भय नाश करो।
उर वास करो।।
मन से जप लो।
कुछ तो तप लो।
शिपिविष्ट प्रभो।
शितिकण्ठ प्रभो।।
तुम तारक हो।
सुख कारक हो।
दुख दूर करो।
हम चूर करो।।
✍️ पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’