तिरछी गर्दन – व्यंग्य
आजकल सड़क पर दोपहिया वाहन पर तिरछी गर्दन के साथ बहुत से चरित्र नज़र आ जाते हैं | इनमे से ज्यादातर चरित्र पैदाईशी तिरछी गर्दन के साथ जन्म नहीं लिए हुए होते हैं | ये सब अपनी अवांछनीय आवश्यकता के चलते गर्दन को तिरछी कर दोपहिया वाहन चलाते हैं और अनावश्यक ही लोगों को या तो दुर्घटना का शिकार बना लेते हैं या फिर ये खुद ही दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं |
अभी कुछ दिन पहले की ही बात है कि हमारे पड़ोस का बंटी अपनी दोपहिया वाहन पर विराजमान हो बाज़ार की और प्रस्थान करते हुए तीव्र गति से मेरे आगे से गुजर जाता है | थोड़ी दूर जाने पर अचानक वह अपनी जेब से कोई यंत्र निकालकर अपनी गर्दन के पास लगा लेता है | इसी बीच मुझे उसकी गर्दन एक और झुकी हुई नज़र आने लगती है | थोड़ी दूर जाने पर अचानक जोर से धड़ाम की आवाज आती है | पास जाकर देखता हूँ तो देखता हूँ कि बंटी महोदय जमीन पर उलटे पड़े हुए हैं और उनका मोबाइल दूसरी दिशा में “क्या हुआ बंटी ?” की आवाज करता हुआ नज़र आ रहा है |
ऐसे नज़ारे आये दिन देखने को मिलते हैं जब तिरछी गर्दन वाले चरित्र हमारी आँखों को कोई विशेष ख़ुशी प्रदान नहीं करते अपितु हमें इस बात की कोफ़्त होती है कि ऐसे चरित्र अपनी जिन्दगी को तो मुसीबत में डालते ही हैं साथ ही दूसरों के लिए भी समस्या पैदा कर देते हैं |
आज तो हद ही हो गयी जब देखा कि एक चार पहिया पर विराजमान देवदूत तिरछी गर्दन के साथ वाहन चलाते नज़र आये | इन्हें देख मन में एक डर समा गया कि पता नहीं आज इनके चार पहिया वाहन से किसका क्रिया कर्म होने वाला है | मैं इन महोदय के पीछे – पीछे हो चला | थोड़ी दूर पहुँचने पर पता चला कि एक दोपहिया को ओवरटेक करने के चक्कर में दोपहिया वाहन पर विराजमान सद्चरित्र का अंत होते – होते बचा |
एक बात तो बताना मैं भूल ही गया कि तिरछी गर्दन के साथ केवल पुरुष वर्ग ही नहीं अपितु महिला वर्ग भी दृष्टिगोचर होने लगी हैं | खासकर युवा पीढ़ी के बच्चे | पता नहीं इन्हें किस बात की जल्दी होती है | दो मिनट रूककर भी बात की जा सकती है और खुद के साथ – साथ दूसरों की जान जोखिम में डालने से बचाई जा सकती है |
आप सभी पाठकों से गुजारिश है कि आप मोबाइल का उपयोग विशेष तौर पर वाहन चलाते समय न करें | यातायात के नियमों का पालन खुद को सुरक्षित रखें और दूसरों को भी सुरक्षित रहने दें |