Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Mar 2020 · 1 min read

तिरंगे की शान

मनहरण घनाक्षरी – तिरंगे की शान
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(1)
धूल चटा शत्रुओ को,
कर देते अस्त पस्त।
शत्रु को हरा देना ही,
सैनिकों का काम है।
(2)
मेरे इन जवानों के,
बढ़े आन बान नित।
करे रक्षा सीमा पर,
नित्य अविराम हैं।
(3)
पीछे नहीं हटते हैं,
रात दिन डटते हैं।
इनसे ही सुरक्षित,
भारत का धाम है ।
(4)
शीश भी चढ़ा देते है,
तिरंगे की शान बन।
ऐसे वीर जवानों को,
सादर प्रणाम है।।

********************************
रचनाकार – डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना,बलौदाबाजार (छ. ग.)
मो. ‌8120587822

1 Like · 246 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अंधभक्तो अगर सत्य ही हिंदुत्व ख़तरे में होता
अंधभक्तो अगर सत्य ही हिंदुत्व ख़तरे में होता
शेखर सिंह
प्रथम शैलपुत्री
प्रथम शैलपुत्री
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*एक चूहा*
*एक चूहा*
Ghanshyam Poddar
हम
हम
Dr. Pradeep Kumar Sharma
मेरी मलम की माँग
मेरी मलम की माँग
Anil chobisa
निरंतर खूब चलना है
निरंतर खूब चलना है
surenderpal vaidya
धनतेरस के अवसर पर ,
धनतेरस के अवसर पर ,
Yogendra Chaturwedi
मेरी निगाहों मे किन गुहानों के निशां खोजते हों,
मेरी निगाहों मे किन गुहानों के निशां खोजते हों,
Vishal babu (vishu)
Wakt ke pahredar
Wakt ke pahredar
Sakshi Tripathi
#क़तआ
#क़तआ
*Author प्रणय प्रभात*
पुरानी यादें ताज़ा कर रही है।
पुरानी यादें ताज़ा कर रही है।
Manoj Mahato
तुंग द्रुम एक चारु 🌿☘️🍁☘️
तुंग द्रुम एक चारु 🌿☘️🍁☘️
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
ये इंसानी फ़ितरत है जनाब !
ये इंसानी फ़ितरत है जनाब !
पूर्वार्थ
#शिवाजी_के_अल्फाज़
#शिवाजी_के_अल्फाज़
Abhishek Shrivastava "Shivaji"
बेटी हूँ माँ तेरी
बेटी हूँ माँ तेरी
Deepesh purohit
क्यों करते हो गुरुर अपने इस चार दिन के ठाठ पर
क्यों करते हो गुरुर अपने इस चार दिन के ठाठ पर
Sandeep Kumar
कोई भोली समझता है
कोई भोली समझता है
VINOD CHAUHAN
हट जा भाल से रेखा
हट जा भाल से रेखा
Suryakant Dwivedi
वो नेमतों की अदाबत है ज़माने की गुलाम है ।
वो नेमतों की अदाबत है ज़माने की गुलाम है ।
Phool gufran
हरि का घर मेरा घर है
हरि का घर मेरा घर है
Vandna thakur
रोशनी का पेड़
रोशनी का पेड़
Kshma Urmila
फेसबूक में  लेख ,कविता ,कहानियाँ और संस्मरण संक्षिप्त ,सरल औ
फेसबूक में लेख ,कविता ,कहानियाँ और संस्मरण संक्षिप्त ,सरल औ
DrLakshman Jha Parimal
इक ग़ज़ल जैसा गुनगुनाते हैं
इक ग़ज़ल जैसा गुनगुनाते हैं
Shweta Soni
मैं एक महल हूं।
मैं एक महल हूं।
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
"रुख़सत"
Dr. Kishan tandon kranti
💐प्रेम कौतुक-489💐
💐प्रेम कौतुक-489💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
*दुर्भाग्य से बौनों ने पाया, उच्चतम-पदभार है  (हिंदी गजल/गीत
*दुर्भाग्य से बौनों ने पाया, उच्चतम-पदभार है (हिंदी गजल/गीत
Ravi Prakash
मेरी कलम से...
मेरी कलम से...
Anand Kumar
जब भी किसी कार्य को पूर्ण समर्पण के साथ करने के बाद भी असफलत
जब भी किसी कार्य को पूर्ण समर्पण के साथ करने के बाद भी असफलत
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
3336.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3336.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
Loading...