तिरंगे की धवल कीर्ति..
चपला चमत्कृत आज तो
तिरंगे की धवल कीर्ति से
नभ में रवि आलोक सा
ज्यों मुक्त निशा भीति से।।
उन्मुक्त श्वेत जलद को
लजाता स्व-कीर्ति दीप्ति से
त्रिलोक में त्रि-रंग छवि
समृद्धि, शक्ति, प्रीति से।। चपला…
बलिदान की उत्कृष्टता
कर्तव्य परा-काष्ठा
प्रज्वलित तप त्याग से
समता की सफल नीति से।। चपला…
सदियों की सतत साधना
वीरों की नित आराधना
कंटकों के कर्म पथ चल
पुरुषार्थ की रीति से।। चपला….
हृदय पुलकित शीश गर्वित
देश के प्रति प्रेम से
नृत्य से पग झूमते
ज्यों दौड़ें मृग स्फूर्ति से।। चपला…
जय हिन्द?
डा. यशवन्त सिंह राठौड़