तिरंगा है हमारी शान इसको हम बढ़ायेंगे।
गज़ल- गणतंत्र दिवस पर देश को समर्पित
काफ़िया- एंगे की बंदिश
रदीफ़- गैर मुरद्दफ़
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222……1222…….1222……1222
तिरंगा है हमारी शान इसको हम बढ़ायेंगे।
जहाँ सारा इसे देखे गगन तक हम उठायेंगे।
है सूरज चांद जैसी रोशनी हम सब के अंदर भी,
कि सारा देश रोशन करके हम सबको दिखायेंगे।
जवानों की बदौलत हम सभी हैं चैन से सोते,
उन्हें आदर से सिर आँखों मे पलकों पर सजायेंगे।
विदेशों में नहीं जायेंगे रखने आबरू गिरवी,
रहेंगे देश में हम शान से कुछ कम कमायेंगे।
जनम पाया है मैंने देश में सौभाग्य है मेरा,
मिले गर सौ जनम तो देश में ही फिर से आयेंगे।
बने जो शक्ति दुनियाँ मे उन्हें भी देखना होगा,
प्रगति कर के जहाँ को एक दिन कदमों में लायेंगे।
बनेंगे देश प्रेमी देश पर सबकुछ निछावर है,
वतन के वास्ते जिंदा वतन पर मर भी जायेंगे।
……..✍️ प्रेमी