तिरंगा बना जब कफ़न देश हित।
तिरंगा बना जब कफ़न देश हित
ये तिरंगा बना जब कफ़न देश हित,
तन ये राहे वतन में हवन हो गया।
राह आबाद कुर्बानियों की सतत,
अपनी मेहनत से पुष्पित चमन हो गया,
वीरगति मोक्ष से श्रेष्ठतम राह है,
वीरगति देशगति को गमन हो गया
ये तिरंगा बना जब कफ़न देश हित
तन ये राहे वतन में हवन हो गया।
पुत्र मेरे लजाए न तुम नाम को,
अब लहू से सही आचमन हो गया
मीत मनमीत साहस ह्रदय में रखो
अब तिरंगा वसन पैरहन हो गया।
ये तिरंगा बना जब कफ़न देश हित,
तन ये राहे वतन में हवन हो गया।
अनुराग दीक्षित