तिरंगा गीत
गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य पर गीत
तिरंगा
मैं क्यों न झूमू आज, सुनो जी
जिया मेरा भर आया,
जाते -जाते देकर खून,
आजाद देश कराया।
आज खूब झूम रहा यह ,
अंखियों को पौंछे—-2
हिंद चमन में खिल उठे हैं,
खुशियों के गुंचे—-2
बहु जेल की यातना झेलेथे वो
बहु जेल की यातना झेले थे वो
खुद को सूली चढ़वाया।
जाते- जाते देकर खून
आजाद देश कराया।
मैं क्यों न झूमुं आज ,
सुनो जी।
भारत की जिंदगानी कर दी,
इतनी सुहानी—2
गुलामी की बदली हट गई,
बड़ी मेहरबानी—-2
भारत माता के लालों ने जी
भारत माता के लालों ने जी,
चिराग हिंद जलाया।
जाते-जाते देकर खून ,
आजाद देश कराया।
मैं क्यों न झूमुं आज, सुनो जी।
अब तो यहां रोज होती ,
ईद और दीवाली—2
नहीं कोई उत्तर देता,
और न सवाली—2
अब अपनी खुशी से जीते सभी जी।
अब अपनी खुशी से जीते सभी जी,
नहीं कोई भरमाया।
जाते- जाते देखकर खून आजाद देश कराया।
मैं क्यों न झूमुं आज सुनो जी ,
जिया मेरा भर आया,
जाते -जाते देखकर खून आजाद देश कराया।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश