तिरंगा खड़ा था
लहू गिरे थे जब वर्षावसान में
तिरंगा खड़ा था तब शमशान में
देश हित सोच रखें देशभक्त हैं वो और युद्ध?
तब मानसिक संतुलन बिगड़ना है इंसान में
ये देश वीर भक्तों से ही तो बना है
तब तिरंगा कफ़न चढ़ता हे सम्मान मे
वो जवान खड़ा है चौबीस तिल्लियां समेटे
तब ध्वज लहराती भारत माता राष्ट्रगान में
‘राव’दो क्षण उतिष्ठ: हो सम्मान मे उस शमशान में
जन गण मन अधिनायक जय है जब वर्धमान में।